Jin baton par ruth jati ho ab tum

जिन बांतों पर रूठ जाती हो अब तुम
 पहले उन्ही पर मुस्कराया करती थी. .
 मेरे बदलने की गुज़ारिश क्यों करती हो,
 जैसे भी हो, अच्छे हो, तुम ही तो समझाया करती थी..।।

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